हिमाचल प्रदेश का एक ऐसा मंदिर जो साल के 8 महीने दुनियां की नजारों से गायब रहता है………
पत्रिका डेस्क: Bathu Ki ladi: आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के एक ऐसे ऐतिहासिक मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे है जोकि साल के सिर्फ 4 महीने ही दुनिया के सामने होता है और फिर गुम हो जाता है। 5000 साल पुराना एक ऐसा मंदिर जो साल के 8 महीने गायब हो जाता है यानी उस दौरान यह मंदिर किसी को भी दिखाई नहीं देता लेकिन ठीक 8 महीने के बाद यह मंदिर अचानक दुनिया के सामने आ जाता है। आखिर क्या है भगवान शिव के इस मंदिर का रहस्य। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के साथ लगते पोंग डैम की झील के बिल्कुल बीचो-बीच है । bathu ki ladi history in hindi
इस मंदिर के गर्भगृह में एक पवित्र शिवलिंग बना हुआ है भगवान शिव के इस मंदिर को महाभारत कालीन माना जाता है। बताया जाता है कि जब पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान यह समय बिताया तब भगवान शिव की आराधना के लिए उन्होंने इस विशाल का मंदिर की स्थापना की थी। पिछले 5000 साल से यह मंदिर यहीं पर मौजूद है और इस मंदिर के गायब होने के पीछे भी एक राज छुपा है। यह मंदिर चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है
यह मंदिर साल में सिर्फ 4 महीने मार्च से जून तक की नजर आता है। आज से 32 साल पहले एक बांध बनाया गया था जो उस वक्त भारत का सबसे ऊंचाई पर बना हुआ बांध था इसी बांध की वजह से यह प्राचीन मंदिर साल में 8 महीने पानी में डूबा रहता है। हैरान रह जाएंगे कि पिछले 30 साल से यह मंदिर साल के 8 महीने पानी में डूब जाता है लेकिन इसके बावजूद यह मंदिर जैसा काम वैसा ही है। यानी पानी में 8 महीनों तक ढुबे रहने के बावजूद भी इस मंदिर की दीवारें इसके जॉइंट और इसकी नींम जरा भी कमजोर नहीं हुई है। और ना ही इस मंदिर की चमक पर रंग फीका पड़ा है जिसकी वजह से इस मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल हुए पत्थर और इसी वजह से इस मंदिर को बाथू की लड़ी भी कहा जाता है।
यहां का एक चमत्कार ऐसा है जिसके सामने विज्ञान भी फेल है इस मंदिर की बनावट कुछ ऐसी की गई है कि यह कोई दिन ऐसा नहीं बीता जब सूर्य की किरणें इस मंदिर के शिवलिंग पर पड़े बिना ही सूर्यास्त हुआ हो, यह मौसम कैसा भी हो सूरज तभी होता है जब सूरज की आखरी किरण इस मंदिर में विराजमान महादेव के चरणों पर पड़ती है। कई लोग इस चमत्कार के बारे में सुनकर और उस देखकर आश्चर्यचकित हो गए थे यही नहीं मुगल बादशाह भी इस चमत्कार को देख अचंभे में पड़ गए थे। इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग पर सूरज की किरणों को पहुंचने से रोकने के लिए अंग्रेजों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी पर फिर भी वह सूरज की किरणों को इस शिवलिंग तक पहुंचने से नहीं रोक पाए थे। अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यह आश्रय लिया था कहा जाता है कि पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान जहां कहीं भी रुकते थे वह कोई ना कोई निर्माण कार्य शुरू करते थे।
और वहां पर अपनी निशानी पीछे छोड़ जाते थे पूरे भारत में आपको ऐसे कई मंदिर दिखेंगे जहां पांडवों ने अपने अज्ञातवास का समय बिताया था यहां अपने अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भगवान शिव की पूजा करने के हेतु इस मंदिर का निर्माण किया था। साथ में यह उन्होंने एक स्वर्ग की सीडी भी बनाई थी, यह पढ़कर थोड़ा आश्चर्य होगा लेकिन इस मंदिर को लेकर काफी मजबूत मान्यता है कि पांचो पांडव और द्रौपदी ने अपने अंतिम समय में सब कुछ त्याग कर शरीर स्वर्ग जाने के लिए यह से सीढ़ीयों के निर्माण की कोशिश की थी। लेकिन व सफल नहीं हो पाए थे। पांडवों ने इसके लिए भगवान श्री कृष्ण से आशीर्वाद मांगा था लेकिन भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद मिलने के बावजूद वह इस यह प्रयास पूरा नहीं कर पाए और यह काम अधूरा रह गया इस मंदिर को आज सरकारी देखरेख की जरूरत है। अगर इसी तरह मंदिर पानी में डूबता रहा तो इसे कभी ना कभी नुकसान जरूर होगा आज इस ऐतिहासिक विरासत को बचाना जरूरी है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी अभी इस मंदिर को देख सके।
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