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मंडीः स्कूलों को बंद रखने के निर्णय पर भड़के निजी स्कूल संचालक

मंडी। सरकाघाट क्षेत्र के लगभग 15 स्कूलों के प्रबंधकों ने शुक्रवार को हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में स्कूलों को 23 अप्रैल तक बंद रखने के फैसले पर कड़ा एतराज जताया और इस फैसले को निजी स्कूल प्रबंधकों लिए घातक बताया।  निजी स्कूलों के संचालकों ने एक बैठक के दौरान कहा कि कोरोना काल निजी स्कूलों नेस रकार का पूरा साथ दियाहै, पिछले वर्ष लगभग पूरा वर्ष स्कूल बंद रहे, जिससे बच्चों की पढ़ाई बहुत अधिक प्रभावित रही है। स्कूल बंद रहने से निजी स्कूलों की आय के साधन पूरी तरह से खत्म हो गए मगर जैसे तैसे सालभर सभी से सरकार की आदेशों का पालन किया, मगर अब स्कूलों की हालत दयनीय हो गई है। लाखों के लेने देने और कर्जे तले दबे निजी स्कूलों को बंद करने की नौबत आ गई है। कहा कि इस वर्ष सत्र के आरंभ में ही 4 अप्रैल तक स्कूल बंद करने का आदेश जारी हुआ, फिर कोरोना नहीं रुका  तो इसकी अवधि 15 अप्रैल तक  सरकार ने बढ़ा दी और अब  शुक्रवार को कैबिनेट में फैसला लिया गया  की  कोरोना ने  भयानक रूप ले रखा है, इसलिए स्कूलों को  21 अप्रैल तक बंद रखा जाए।

 

संकेत यह लग रहेहैं कि अब शायद इस साल भी यही क्रम जारी रहेगा। निजी स्कूल प्रबंधकों ने सरकार से विनम्र निवेदन किया है कि जो बच्चों को ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी स्कूल द्वारा दी जाती है, उसमें विभिन्न प्रकार के  खर्चे आते हैं  जैसे टैक्स, इंश्योरेंस तथा और भी डेप्रिसिएशन टूट-फूट। बहुत से स्कूलों ने  करोड़ों रुपए का लोन ले रखा है उसकी इंस्टॉलमेंट  मीट आउट कर पाना बहुत मुश्किल हो रहा है। अध्यापकों की सैलरी, स्कूल के अन्य खर्चे  सारे  ट्यूशन फीस और एनुअल चार्जेस से  मीट आउट किए जाते हैं। कभी सरकार फीश ना लेने का  आदेश जारी करती है,  तो कभी एडमिशन फीस नहीं  लेने के बारे में आदेश जारी करती हैं। ऐसे में पेरेंट्स असमंजस में होते हैं, और फीस जमा नहीं करवाते, जिससे अध्यापकों की सैलरी और अन्य खर्चे स्कूल प्रबंधकों के लिए आए दिन मुसीबत बनती जा रही है। हजारों निजी स्कूलों के अध्यापकों का रोजगार निजी स्कूलों पर निर्भर करता है, ऐसी परिस्थिति में बहुत से स्कूल  पिछले वर्ष बंद हो चुके हैं। आरोप लगाया कि चुनावी राज्यों में  कोरोना कहां भाग जाता है, चुनावी रैलियों में भीड़ आती है  उस समय कोरोना प्रोटोकॉल क्या अलग सा होता है। सरकार इस तरह से दोहरा मापदंड क्यों अपना रही है।

 

इस परिस्थिति में निजी स्कूलों के प्रबंधकों को आत्महत्या के लिए विविश होना पड़ेगा। उन्होंने सरकार से मांग की है कि अध्यापकों कीवैक्सीनेशन करके जल्द से जल्द स्कूलों को नियमित खोलने का फरमान जारी करें, ताकि निजी स्कूल चल सकें। इस बैठक में बैठक में निजी स्कूल संचालकों में  एसपीएस इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन  सुरेंद्र कुमार राणा, लौर्ड्स कन्वेंट  के स्कूल प्रबंधक  बलवंत बराड़ी, जीवन ज्योति आदर्श विद्यालय के प्रबंधक की जीवानंद,  हिल व्यू पब्लिक स्कूल के प्रबंधक सुमन शर्मा,  हिमालयन पब्लिक स्कूल के संचालक मनीष कुमार, ओयस्टर  पब्लिक स्कूल  के संचालक दिलबाग सिंह,  सनराइज पब्लिक स्कूल के प्रबंधक पवन कुमार आदि शामिल हुए।

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