पांगी की समस्याओं को लेकर ‘पांगी फर्स्ट पंगवाल फर्स्ट’ एनजीओ ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भेजा ज्ञापन, जानिए क्या है समस्या
पांगी: जनजातीय क्षेत्र पांगी में वीरवार को पांगी फर्स्ट पंगवाल फर्स्ट एनजीओ ने पांगी की समस्याओं को लेकर उपाध्यक्ष कृष्ण चन्द राणा ने सभी अगुवाई में एसडीएम पांगी विश्रुत भारती के माध्यम से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ज्ञापन भेजा हुआ है। इस दौरान उन्होंने बताया की पांगी की हलात जैसे पहले जम्मू एवं काश्मीर में लदाख की थी वैसी हो गई है। लेकि भारत सरकार ने लद्दाख की हलात को तो सुधार दिया। लेकिन पांगी घाटी समस्याओं का आज दिन तक समाधान नहीं हो पाया है। पांगीवासी राजनीतिक उपेक्षा का सामना कर रहा है।
जिस कारण पांगी के विकास कार्य ठप्प पडा हुआ है। इसका मुख्य कारण हमारा अपना विधायक का न होना हैं क्योंकि हमारे क्षेत्र का विधायक भरमौर से है जो पांगी से आठ सौ किलोमीटर दूर पर रहते है। जो भी विधायक होता है वह पूर्ण दायित्व व जिम्मेवारी से काम नही कर पाता है। वह चाहे हिमाचल प्रदेश में किसी की भी पार्टी की सरकार हो वैसे जग जाहिर है कि किसी और क्षेत्र में रहने वाले विधायक व सांसद को पांगी के लोगों के वोटों से मतलब है। जिसपर उपस्थित तमाम सदस्यों ने बार-बार विचार विमर्श किया तथा मुख्य सलाहकार सुरम चन्द ठाकुर ने ध्यान में लाया कि पहले वर्ष 1952-1967 तक पांगी विधान सभा क्षेत्र अलग हुआ करता था लेकिन हमारी राजनीतिक इच्छा शक्ति में कमी व पंगवाल समुदायों की पहुँच ना होने के कारण हम सभी पांगीवासी सदा उपेक्षा के शिकार होते रहे है । परन्तु अब हमें विभिन्न समाचार पत्रों से एवं अधिकारिक सूत्रों से पता चला है कि भविष्य में विधानसभा परिसीमन होना निश्चित हुआ है अत: हम मान्यवर आप के माध्यम से भारत निर्वाचन आयोग से अपील करते है कि हमारी समस्याओं को मध्यनजर रखते हुए नार्थ व ईस्ट की तर्ज पर विधानसभा क्षेत्र पांगी बना दिया जाए ताकि पंगवाल जनजाती क्षेत्र के लोग अपना प्रतिनिधि हिमाचल विधानसभा में भेज सके।
आवासीय आयुक्त पांगी की शक्तियां 1986 के तर्ज पर बहाल करे
1986 में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा पांगी तहसील में आवासीय आयुक्त का पद स्वीकृत किया गया था। जिसमें सरकार द्वारा आवासीय आयुक्त पांगी को जो शक्तियां दी थी वह पांगीवासियों का कार्य जो शिमला व चम्बा जिला में होता था वह पांगी के आवासीय आयुक्त महोदय के माध्यम से पांगी में ही होता जाता था। पांगी की भौगोलिक स्थित को देखते हुए इस व्यवस्था के कारण पांगी के गरीब जनता का पैसों के साथ समय भी बर्वाद होने से बच जाता था। हमारी यह भी मांग है कि आवासीय आयुक्त पांगी के पद पर भारतीय प्रशासनिक अधिकारी कअर की भी नियुक्ति की जाए।
पांगी के सभी विभागों के विकासात्मक कार्यों के निविदायें आॅनलाइन करवाये
पूर्ण हिमाचल प्रदेश में कुछ स्थितियों को छोड़कर सभी विभागों की निविदायें आॅनलाइन की जाती है। परन्तु पांगी तहसील में हि0 प्र0 लो० नि० वि0 पांगी को छोडकर कोई भी विभाग निविदायें आॅनलाइन नही की जाती है। पांगी में लगभग सभी विभागों में लाखों रूपयों के कार्य अपने चहेतों व राजनीतिक रसूखदारों को उंचें दामों में, किसी को सूचना दिये विना ही कार्य आवंटित कर दिये जाते है। जिससे पांगी का प्राप्त धनराशि का दुरूपयोग भी होता है और विकास में बाधा भी आती है। इसलिए आप महोदय से अनुरोध है कि पांगी के सभी विभागों को आदेश दिया जाए कि 49000-/ से अधिक धनराशि के कार्यों के लिए विभाग निविदायें आॅनलाइन मंगवाई जाए ताकि पांगी में प्रदेश की तर्ज पर निविदायें आॅनलाइन प्रक्रिया द्वारा ही की जाएं। ताकि भ्रष्टाचार पर अकुंश लगाया जाए।
पांगी की सभी 19 पंचायतों में बिजली उपलब्ध करवाये
पांगी घाटी में दिन-प्रतिदिन विजली की खपत बढती जा रही है हिमाचल प्रदेश वह प्रदेश है जो विजली के उत्पादन में अग्रिम है और प्रदेश के कोने कोने में पर्याप्त बिजली पहुंच भी चुकी है । परन्तु पांगी का दुर्भाग्य हैं कि पांगी घाटी को पूर्ण विजली प्राप्त नही हो रही है पांगी में खपत वढ रही है और बिजली का उत्पादन कम होता जा रहा है। माहलूनाला पावर प्रोजेक्ट जो कि 1995-1996 में पांगी जनता को समर्पित किया गया था जिसकी उत्पादन क्षमता मशीनरी पुरानी होने के कारण कम है।
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