दुनिया में बज रहा मोदी का डंका! लेकिन उपलब्धियों का नहीं लोगों के दर्द, बेबसी, टूटती सांसों का
नई दिल्ली: देश में लगातार हालात खराब होते जा रहे है। हर दिन सोशल मीडिया पर तस्वीरों वायरल हो रही है। जिनका दर्द को बयां करने के लिए शब्द नहीं है। इंसानों की बेबसी को बताने के लिए कोई वक्य नहीं और ना ही इनकी आंसुओं का दर्द बताने की हिम्मत हो रही है। भारज इन दिनों को कभी भुला नहीं सकता है। दिल्ली, यूपी से लेकर महाराष्ट्र व अन्य राज्यों से आज तस्वीरें वायरल हो रही है। ऐसी स्थिति क्यों है इस पर भी कोई सरकार से सवाल नहीं कर पा रहा है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर से हालत इतनी खराब हो गए हैं कि अब अस्पतालों में बैड व आॅक्सीजन समेत जरूरी दवाओं के लिए मारामारी करनी पड़ रही है।
अगर जान बच भी गई तो ठीक है, नहीं बची तो फिर श्मशान और कब्रिस्तान में जगह को लेकर असली लड़ाई लड़नी पड़ रही है । यहां तक कि शवों को कंधा देने के लिए 4 से ₹5000 की डिमांड की जा रही है। आखिर में जिसकी जितनी सियत है उस हिसाब से लॉक कर दिया जाता है। इतना सब होने के बाद भी लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाली मीडिया आंखों पर पट्टी बांधी बैठी है। आखिर ऐसी स्थिति क्यों बाहरन नहीं आ रही है। बस सिस्टम के नाम पर प्राइम टाइम शो चलाते है। लेकिन इन सबके बीच सात समंदर पार भारत की यह तस्वीरें दिखाई जा रही है। पूरी दुनिया को मोदी सरकार की तस्वीर दिखाइए जो अब तक ना जाने क्यों अपने ही देश में छिपाई जा रही थी।
विदेशी मीडिया मोदी सरकार को कटघरे में खड़ी कर रही है और भारत की मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार बता रही है । कल तक जिस आॅक्सीजन किलत भारत के कुछ राज्यों में हो रही थी आज विदेशी मीडिया में भारत आॅक्सीजन और बैड छाए हुए हैं। अखबारों की कटिंग भारत की बदतर स्थिति होने के बाद ब्रिटेन के अखबार द गार्जियन की बात करें तो इस अखबार ने भारत में कोरोना का जिम्मेदार प्रधानमंत्री को माना हुआ है। अखबार ने 25 अप्रैल को लिखा है, भारतीय प्रधानमंत्री के अति आत्मविश्वास यानी ओवरकॉन्फिडेंस में जानलेवा कोविड-19 रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची है अब बुरे हाल में जी रहे हैं अस्पतालों में आॅक्सीजन और बैड नहीं है,
वहीं बीबीसी ने अपनी वेबसाइट पर अस्पतालों में मरीजों की हालत हो रही है इसके बारे में लिखा गया है कि दिल्ली समेत देशभर के कई अस्पतालों में आॅक्सीजन कमी के कारण मरीजों को घर पर ही इलाज करवाने को कहा जा रहा है । लोगों को मेडिकल उपकरणों के लिए ब्लैक मार्केट से खरीददारी करनी पड़ रही है वहीं प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने 23 अप्रैल को लिखा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोरोना की लड़ाई में नाकाम बताया गया है। लेख में सवाल पर प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा गया कि जिम्मेदारी उसके पास है जिसमें सभी सावधानियों को नजरअंदाज किया । जिम्मेदारी उस मंत्रिमंडल के पास है
जिसमें प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ में कहा कि देश में खिलाफ उन्होंने सफल लड़ाई लड़ी अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने 24 अप्रैल में लिखा कि भारत में कोरोना की दूसरी सबसे बड़ी वजह महामारी क्यों है। इससे लोगों ने महामारी को हल्के में लिया कुंभ मेला क्रिकेट स्टेडियम जैसी इवेंट में दर्शकों की भारी भीड़ मौजूद कि इसका उदाहरण है। एक अन्य अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत के संदर्भ में 25 अप्रैल को लिखा कि साल भर पहले दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन लगाकर कोरोना पर काबू पाया गया। भारन में चेतावनी की अनदेखी की गई। जिससे अस्पतालों में बैड नहीं आॅक्सीजन की किल्लत है।
इसी अख्बार ने कार्टून में दिखाया कि भारत एक विशाल हाथी है वह मरने वाली हालत में जमीन पर पड़ा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसकी पीठ पर आसन लगाकर बैठे हुए हैं उनके सिर पर पगड़ी है और एक हाथ में माईक वह भाषण वाली पोजीशन में है। यह कार्टून सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। देश में आज सरकार के खिलाफ कोई बोले यह प्रधानमंत्री को पहले से ही ना पसंद है यही वजह है कि आॅस्ट्रेलिया के एक दैनिक अखबार द आॅस्ट्रेलियन ने लिखा है कि भारत में पैदा हुए हालात मोदी ने भारत को लॉकडाउन से बाहर निकाला है। आॅस्ट्रेलियन की रिपोर्ट आॅनलाइन भी मौजूद है इसमें भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए हजारों लोगों को चुनावी रैलियों में शामिल होने कुंभ मेले की इजाजत देनी अधिक संक्रमण वैरीअंट पर विशेषज्ञों की सलाह को नजरअंदाज करने और मेडिकल आॅक्सीजन एवं वेतन की कमी को जिम्मेदार ठहराया गया है।
स्थिति बेहद खराब होती जा रही है मोदी सरकार भी कोई फैसला लेने में असमर्थ है। गलत नहीं होगा भगवान भरोसे है। आज वाकई में भारत बदल गया है। आज के भारत की तस्वीर भयावह है, कोरोना काल की ये वो तस्वीरें हैं जिस झुठलाया नहीं जा सकता है। देश की इस हालत के लिए कोई भी सरकार से सवाल तक नहीं पूछ रहा है, बस सिस्टम को जिम्मेदार ठहराकर पल्ला झाड़ने की कोशिश हो रही है। लेकिन इन सबके बीच विदेशी मीडिया ने भारत की असली तस्वीर पूरे विश्व को दिखाई है। कल तक जिस आॅक्सीजन की सिर्फ चर्चा भारत के कुछ राज्यों में हो रही थी आज विदेशी मीडिया में ‘भारत, आॅक्सीजन और बेड’ छाए हुए हैं।
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