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videos: जयराम सरकार का कारनामा: सरकार से नही मिला सहयोग, परिजनों ने खुद तैयार करवाई शहीद की प्रतिमा,

कुल्लू(बी.शर्मा): देश के लिए अपनी जान देने वालों के लिए सरकारों के द्वारा कई घोषणाएं तो की जाती है। लेकिन उन पर अमल कभी कभी ही हो पाता है। ऐसे में शहीद के परिजनों के दिल पर क्या बीतती होगी। उसे उनके परिजनों के अलावा कोई नही जान सकता है। जिला कुल्लू की खराहल घाटी के पुईद गांव के शहीद पैरा ट्रूपर बालकृष्ण की शहादत को भी आज एक साल हो गया लेकिन शहीद के सम्मान कोई स्मारक तो दूर कोई सरकारी विभाग का अधिकारी श्रद्धांजलि देने भी उसके निवास स्थान नही पहुंच पाया।

हालांकि शहीद बालकृष्ण के परिजनों ने कई बार प्रशासन व सरकार के समक्ष मांग रखी कि उनकी उनके बेटे की शहादत को याद रखने के लिए कुल्लू में कोई स्मारक बनाया जाए। लेकिन 1 साल बीतने के बाद भी इसका कोई जवाब सरकार नहीं दे पाई। जिसके चलते परिजनों ने खुद हिम्मत करते हुए अपने बेटे की मूर्ति अपने घर के बाहर स्थापित कर दी। शहीद बालकृष्ण की पुण्यतिथि के अवसर पर एक छोटे से कार्यक्रम का भी आयोजन परिवार वालों ने किया। तो वहीं सेना की ओर से कमांड अधिकारी कर्नल नरेश बरमोला ने मौके पर आकर शहीद की प्रतिमा का अनावरण किया और उसे श्रद्धांजलि भेंट की। वही परिजन भी अपने बेटे की प्रतिमा को देखकर सिसकते रहे। शहीद के पिता महेंद्र सिंह का कहना है कि आज पूरा 1 साल हो गया जब उनके बेटे ने जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में केरन सेक्टर में एक आॅपरेशन के दौरान आतंकियों से लोहा लेते हुए अपनी जान गवा दी। उनका कहना है कि जिला कुल्लू में कई ऐसे शहीद है जिन्होंने अपने देश के लिए जान तो दे दी।

लेकिन सरकार की ओर से उन शहीदों को आज तक कोई सम्मान नहीं मिल पाया। सरकार किसी जगह पर उनकी याद में किसी स्मारक का निर्माण करवा सकती थी। इस मांग को लेकर भी कई बार जिला प्रशासन व मुख्यमंत्री से मिले और उनके साथ पत्राचार भी किया। लेकिन उन्हें इस बात का कोई जवाब नहीं दिया गया। जिसके चलते उन्होंने खुद हिम्मत करते हुए दिल्ली में अपने बेटे की प्रतिमा तैयार करवाई और आज उसे स्थापित भी कर दिया गया।

वही, शहीदों के सम्मान में मूर्तिकार ने भी निशुल्क प्रतिमा देकर परिजनों का भी होंसला बढ़ाया। वही महेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने इलाके के अन्य युवाओं को सेना में जाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से एक म्यूजियम भी तैयार किया है। इस म्यूजियम में शहीद बालकृष्ण के सेना में प्रशिक्षण के दौरान से लेकर आॅन ड्यूटी तक की सभी चीजें रखी गई है। इस तरह से जहां वे अपने बेटे की स्मृतियों को संजोए हुए हैं तो वहीं अन्य युवाओं को भी सेना में जाने के लिए प्रेरित करते हैं। ताकि म्यूजियम में रखी चीजों से प्रेरणा लेकर युवा देश सेवा के लिए सेना में जाने का जाने की इच्छा रख सके। महेंद्र सिंह का कहना है कि यह म्यूजियम स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटकों के लिए भी खुला रखा जाएगा और एक बार फिर भी जिला कुल्लू के शहीदों की याद में स्मारक बनाने की मांग को लेकर सरकार के समक्ष अपनी गुहार रखेंगे।

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