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कछुए की भांति चल रहा साच-पास दर्रें का कार्य, अधिकारियों की नाकामी की वजह से अब तक नहीं हो पाया बहाल

चंबा: जिला चंबा के जनजातीय क्षेत्र पांगी को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाले सबसे नजदीकी मार्ग साच-पास दर्रं का कार्य कछुए की भांति चला हुआ है। जिससे क्षेत्र अभी तक ही जिला मुख्यालय से नहीं जुड़ पाए हुआ है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रोहतांग दर्रा अभी बाहल हो चुका है लेकिन रोहतांग दर्रे से कम ऊंचाई वाले साच-पास दर्रें को लोक निर्माण विभाग बहाल करने में असमर्थ हो गया है। आपको बता दें कि हर साल के भांति इस वर्ष भी साच-पास दर्रे की बहाली के लिए सरकार द्वारा करोड़ों का बजट दिया जाता है।

लेकिन लोक निर्माण विभाग द्वारा ठेकेदारों पर खर्च कर दिया जाता है लेकिन उसके बावजूद भी क्षेत्र के लोग सीजन के 8 महीने भी जिला मुख्यालय से उक्त मार्ग के माध्यम से नहीं जुड़ पाते हैं। लोक निर्माण विभाग की इस कछुए की भांति कार्य से क्षेत्र के लोगों को काफी दिक्कतें पेश आ रही है। इस संबंध में पांगी कल्याण संघ के अध्यक्ष भगत बढ़ोत्रा नहीं बताया कि पिछले साल के अक्टूबर महीने से बात की जाए तो अब तक आठवां महीना शुरू हो चुका है और पांगी घाटी अभी तक जिला मुख्यालय से नहीं जुड़ पाई हुई है। उन्होंने बताया कि पांगी घाटी का सबसे नजदीकी मार्ग साच-पास बाहल ना होने के कारण क्षेत्र के लोगों को आज भी चार हजार देकर वाया कुल्लू मनाली होकर जिला मुख्यालय के लिए आना पड़ रहा है।




साथ ही उन्होंने बताया कि सर्दियों के समय में भी पांगी घाटी शेष विश्व से कटी हुई थी लेकिन उसके बावजूद भी प्रदेश सरकार ने चंबा व कुल्लू से हेलीकॉप्टर सेवा मुहैया नहीं करवाई। उन्होंने बताया कि हेलीकॉप्टर सेवा को लेकर जब क्षेत्र के लोगों ने प्रदेश सरकार से मांग की तो सरकार द्वारा रोहतांग अटल टनल का तर्क देकर उस मुद्दे से भी मुंह मोड़ लिया हुआ है। भगत ने बताया कि प्रदेश सरकार हर साल साच-पास दर्रे में बर्फ हटाने के नाम पर करोड़ों का बजट पांगी घाटी के लोगों के नाम पर खर्च करती है। लेकिन इस रास्ते के बाहल होने के बावजूद भी क्षेत्र के लोगों को केवल 4 से 5 महीने ही सुविधा मिलती है। उसके बाद फिर क्षेत्र के लोगों को वाया जम्मू हुआ वाया कुल्लू मनाली होकर ही जिला मुख्यालय का रुख करना पड़ता है। जहां से भी टैक्सी चालकों के मनमाने किराये से क्षेत्र के लोग परेशान हो जाते है।



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