हिमाचल प्रदेश का सबसे ऊंचा रोहतांग दर्रा हुआ बाहल, साच-पास के लिए करना होगा इंतजार, लोक निमार्ण विभाग हुआ नाकाम
आर.के: पांगी/मनाली: बीआरओ के जवानों की मेहनत रंग लाई है। बीआरओ ने 13050 फीट ऊंचे दर्रे के दोनों छोर जोड़ दिए हैं। बहाल हुए दर्रे को अब पर्यटकों का इंतजार है। कोरोना से स्थिति सामान्य होते ही पर्यटक यहां बर्फ के दीदार कर सकेंगे। हालांकि अटल टनल बन जाने से इस बार रोहतांग दर्रे की बहाली में किसी को कोई खास रुचि नहीं है लेकिन बहाल हुए रोहतांग दर्रे को अब सैलानियों के इंतजार है। इससे पहले सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण मनाली-लेह मार्ग का यह रोहतांग दर्रा सभी के लिए महत्वपूर्ण था लेकिन अटल टनल बनने से दर्रे की महत्ता कम हो गई है। लेकिन कोरोना से हालात सामान्य होते हैं तो समर सीजन के जून जुलाई महीने में सैलानी दर्रे में बर्फ के दीदार कर सकते हैं। बीआरओ ने शनिवार को दर्रे के दोनों छोर को जोड़ दिया है।
हालांकि दर्रे पर अभी वाहनों की आवाजाही को दो दिन लग सकते है लेकिन बीआरओ ने दर्रे के दोनों छोर को जोड़कर दर्रा बहाल कर दिया है। इससे पहले रोहतांग दर्रे की बहाली बीआरओ की प्राथमिकता रही है लेकिन अटल टनल रोहतांग के निर्माण के बाद दर्रे की महत्ता कम हो गई है।बीआरओ ने इस बार सबसे पहले बारलाचा दर्रे को बहाल कर लेह को मनाली से जोड़ा। दूसरे नम्बर पर कुंजम जोत को बहाल किया। वीरवार को बीआरओ ने शिंकुला दर्रे को बहाल कर करगिल को मनाली के नजदीक लाया जबकि अंत में आज शनिवार को बीआरओ ने रोहतांग दर्रे के दोनों छोर जोड़ दिए हैं। बीआरओ ने हालांकि सभी दर्रे को बहाल कर लिया है लेकिन वाहनों की आवाजाही के लिए अभी इंतजार करना होगा।
ग्राम्फू काजा मार्ग पर डोहरनी के पास पत्थर गिरने से अभी वाहनों की आवाजाही जोखिम भरी बनी हुई है। दारचा पदुम करगिल मार्ग पर भी अभी सफर सुरक्षित नहीं है। लाहुल स्पीति प्रशासन ने सभी वाहन चालकों से आग्रह किया कि ग्राम्फू समदो मार्ग व दारचा से पदुम करगिल मार्ग पर भी सफर अभी सुरक्षित नहीं है। सफर करने से पहले पुलिस से सम्पर्क करें ताकि दिक्कत का सामना न करना पड़े। बीआरओ कमांडर कर्नल उमा शंकर ने बताया कि बीआरओ ने रोहतांग दर्रे के दोनों छोर जोड़ दिए हैं। उन्होंने बताया कि दो दिनों के भीतर वाहनों की आवाजाही भी शुरू हो जाएगी।
उधर जिला चंबा के जनजातीय क्षेत्र पांगी को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाले साचपास दर्र को आज दिन तक भी लोक निमार्ण विभाग बाहल नहीं कर पाया हुआ है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हर साल के भांति लोक निर्माण विभाग द्वारा साच-पास बाहली का कार्य चलाया गया है। लेकिन मई माह खत्म होने वाला है। लेकिन अब तक साच-पास दर्र बाहल नहीं हो पाया है। वहीं रोहतांग दर्र से साच-पास दर्र की ऊंचाई एक हजार फीट कम है। लेकिन उसके बावजूद भी लोक निमार्ण विभाग की टीम नाकाम हुई है।
The post हिमाचल प्रदेश का सबसे ऊंचा रोहतांग दर्रा हुआ बाहल, साच-पास के लिए करना होगा इंतजार, लोक निमार्ण विभाग हुआ नाकाम appeared first on Patrika News Himachal.
from WordPress https://ift.tt/3wGVjPh
via IFTTT
कोई टिप्पणी नहीं: