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हिमाचल प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए सीएम जयराम ठाकुर ने उपायुक्तों से की वर्चुअल बैठक, जानिए पूरा

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज वर्चुअल माध्यम से उपायुक्तों, पुलिस अधीक्षकों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, सभी चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों और चिकित्सा अधीक्षकों के साथ प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि चिकित्सा जगत के लोगों को कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए पहले से ही संभावित आवश्यकताओं और आपूर्ति संबंधित कार्य योजना बनानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनियाभर में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि कोरोना वायरस की तीसरी लहर आती है तो यह बच्चों के लिए चिंताजनक साबित हो सकती है, इसलिए सभी स्वास्थ्य संस्थानों में बाल रोग वार्ड और सेवाओं को सुदृढ़ करने पर अधिक बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाल रोग से संबंधित स्वास्थ्य अधोसंरचना को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण की संभावनाएं तलाशी जानी चाहिए।

जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सभी हितधारकों के सक्रिय सहयोग से कोरोना महामारी की पहली लहर पर सफलतापूर्वक विजय प्राप्त की है और अब उम्मीद है कि प्रदेश धीरे-धीरे दूसरी लहर से बाहर आ रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अभी भी और अधिक सतर्क रहना होगा क्योंकि महामारी अभी समाप्त नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि कोरोना मामलों में धीरे-धीरे कमी के साथ प्रदेश के लोग लापरवाह हो सकते हैं इसलिए लोगों को और अधिक सतर्क रहने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सूचना, शिक्षा और संप्रेषण ने कोविड-19 से जुड़े भ्रम को दूर करने और लोगों को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि जनमत तैयार करने वालों, स्थानीय नेताओं और पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों को इस संक्रमण से जुड़ी भ्रांतियों के बारे में लोगों को शिक्षित करना चाहिए।




उन्होंने कहा कि जिन कोविड-19 समर्पित अस्पतालों में कोविड मरीज उपचाराधीन नहीं हैं, उन्हें अन्य बीमारियों के मरीजों की सुविधा के लिए डी-नोटिफाई करने के प्रयास करने चाहिए। इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 के दृष्टिगत लिए गए निजी अस्पतालों को नियोजित करने के प्रयास किए जाने चाहिए। जय राम ठाकुर ने कहा कि अब भी प्रभावी निगरानी के साथ-साथ टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट की दोहरी रणनीति अपनाने को प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि संकट अभी समाप्त नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि सभी उपायुक्त अपने जिलों में परीक्षणों की संख्या में वृद्धि करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि राज्य स्वास्थ्य विभाग को वैक्सीन का न्यूनतम अपव्यय सुनिश्चित करना चाहिए क्योंकि देश और राज्य इसे वहन नहीं कर सकता है।




मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग को राज्य के सभी 50 बिस्तरों या इससे अधिक बिस्तरों वाले अस्पतालों में आॅक्सीजन की आपूर्ति उपलब्ध करवाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि आॅक्सीजन सिलेंडरों की उचित सूची और भण्डारण सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लगभग 11 हजार लोग अभी भी होम आइसोलेशन में हैं इसलिए उनके स्वास्थ्य मापदण्डों की नियमित निगरानी के लिए उनके साथ समन्वय बनाए रखना आवश्यक है। वर्तमान में प्रदेश में आठ पीएसए आॅक्सीन प्लांट कार्यशील हैं और तीन अन्य शीघ्र कार्यशील हो जाएंगे।जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रतिबंधों को बहुत लम्बे समय तक जारी रखना संभव नहीं है इसलिए यदि मामले इसी गति से कम होते हैं तो प्रदेश सरकार आने वाले समय में कोरोना कफ्र्यू में कुछ ढील देने पर विचार कर सकती है।




मुख्य सचिव अनिल खाची ने कहा कि यह समय की आवश्यकता है कि सभी हितधारक अधिक सतर्क हो कर जुकाम जैसे लक्षणों वाले व्यक्तियों की निगरानी करें। उन्होंने कहा कि कोविड मामलों में कमी आ रही है, इसलिए चिकित्सा लाॅजिस्टिक्स के रख-रखाव पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। उन्होंने विभिन्न संगठनों द्वारा सीएसआर के अन्तर्गत प्रदान किए गए खाद्य और अन्य वस्तुओं के उचित वितरण पर बल दिया। पुलिस महानिदेशक संजय कुण्डु ने कहा कि कोरोना महामारी के नियन्त्रण के लिए आगामी कुछ दिनों तक इसी प्रकार के प्रतिबन्ध लगाए जाना उचित होगा। स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री का स्वागत किया। अतिरिक्त मुख्य सचिव आर.डी. धीमान व जे.सी. शर्मा, विशेष सचिव अरिंदम चैधरी, मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डाॅ. निपुण जिंदल और निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डाॅ. बी.बी. कटोच भी बैठक में उपस्थित थे।



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