आतंकवाद से पीड़ित पांगी के इस परिवार को प्रदेश सरकार से नहीं मिली आर्थिक मदद,
पांगी: 90 के दशक में जम्मू-कश्मीर में दहकी आतंकवाद की आग में अपना सब कुछ गंवा चुका जिला चंबा के जनजातीय क्षेत्र पांगी की ग्राम पंचायत किलाड़ के सेरी भटवास गांव का विपिन चंद पुत्र भीमसेन सरकारी सहायता के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है। जम्मू-कश्मीर सरकार भी उसके प्रति गंभीरता नहीं दिखा रही है, साथ ही हिमाचल सरकार भी उसकी सहायता नहीं कर रही है। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आतंकवाद के हमले में पांगी के विपिन की दुकान भी आग की भेट चढ़ गई थी। आतंकवाद के हमले में हुए नुक्सान का बाकी सबको मुआवजा मिल गया, लेकिन विपिन को दूसरे राज्य का होने के कारण जम्मू-कश्मीर सरकार से मुआवजा नहीं मिल पाया है। विपिन नुक्सान की भरपाई करने के लिए 30 सालों से जम्मू-कश्मीर और हिमाचल सरकार के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है, लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं है। विपिन को मात्र सरकार की ओर से पत्रों के माध्यम से आश्वासन ही मिले हैं, साथ ही जम्मू कश्मीर सरकार ने विपिन के हुए नुक्सान का आकलन हिमाचल सरकार को भेज दिया है।
उसके बावजूद उसे रहत राशि नहीं मिल पाई है। विपिन के मुताबिक हर माह एक चक्कर जम्मू-कश्मीर के सचिवालय और दूसरा चक्कर शिमला सचिवालय को लगता है। इन चक्करों में उसकी पूरी उम्र गुजर गई है। लेकिन अभी तक उन्हें केवल आश्वासन ही मिला हुआ है। हिमाचल सरकार ने तो जम्मू-कश्मीर सरकार के पास इस मामले को गंभीरता से उठाया था, लेकिन मामला पुराना होने के कारण ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है और हिमाचल सरकार को ही इस मामले को निपटाने के लिए कहा है।
विपिन चंद ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर काका रोड पर किराए पर बेकरी की दुकान करता था। 1990 में आतंकी मुठभेड़ में दुकान को आग लग गई थी और सब कुछ जलकर राख हो गया था, जिससे उसे उस दौरान 4-5 लाख का नुक्सान हुआ था। अपने नुक्सान की भरपाई को लेकर वह जिला प्रशासन से भी मिला था और सरकार को कई पत्र भेजे, लेकिन अभी तक भरपाई नहीं हो पाई है। विपिन अब पांगी में जड़ी-बूटी की दवाई बनाकर मेलों में प्रदर्शनी लगाता है। मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद अभी तक विपिन चंद को मुआवजा नहीं मिला है। आतंकवाद से ग्रस्त विपिन चंद पिछले तीस साल से मुआवजे के लिए भटक रहा है, परंतु अभी तक उसे मुआवजा नहीं मिला है। विपिन चंद ने बताया कि वह जनजातीय क्षेत्र पांगी का रहने वाला है और 1976 से लेकर 1990 तक श्रीनगर के काका रोड की नई सड़क व बेकरी का काम करता था, लेकिन 1990 में जम्मू-कश्मीर में चुका है, परंतु अभी तक उसे केवल आतंकवाद की आग में अपना सब निराशा ही हाथ लगी है।
इस संबंध में फउ पांगी सुखदेव राणा ने बताया कि इस मामले को ध्यान में लाया गया है। और पीडित परिवार को जल्द उचित मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस संबंध में जैसे ही पांगी प्रशासन के पास कोई रिपोर्ट आती है तो उसके बाद उक्त पीडित परिवार का सहायोग किया जाएगा।
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