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पांगी की ठांगी को दिया जाएगा इंटरनेशनल मार्केट, 6 देशों में ठांगी मश्हूर

चंबा: (वीरू राणा) जिला चंबा के जानजातिय क्षेत्र पांगी की मशहूर ठांगी को इस बार इंटरनेशनल मार्केट दी जाएगी। आपको बता दें कि इस वर्ष पांगी घाटी में ठांगी की फसल खूब हुई है । इन दिनों ठांगी पककर तैयार हो चुकी है और लोग सुबह से शाम ठांगी एकत्रित करके उच्च दाम का इंतजार कर रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पूरे हिंदुस्तान में एकमात्र क्षेत्र पांगी घाटी जहां पर ठांगी की फसल होती है। इस फसल को किसानों या बागवानो द्वारा तैयार नहीं किया जाता है। यह कुदरत की ही देने है कि पांगी के लोगों को यह जंगलों में ही तैयार मिलती है। हालांकि अब बंदरों की बढ़ रही आबादी के कारण क्षेत्र के लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। बंदर ठांगी की फसल को पकने से पहले ही उजाड़ देते हैं ,लेकिन इस वर्ष ठांगी की फसल इस तरह से हुई है कि क्षेत्र के लोगों के चेहरे खिल उठे हैं। इन दिनों लोग इसी काम में जुटे हुए हैं। आपको बता दें कि यह फसल पांगी घाटी के अलावा अन्य क्षेत्रों में अन्य जिलों में तैयार नहीं होती है क्योंकि इसका पेड़ प्राकृतिक सौंदर्य से देखा जाए तो केवल पांगी घाटी में ही तैयार होता है।

हालांकि कुछ लोगों द्वारा वह वन विभाग की ओर से इसके पेड़ को अन्य जिलों में लगाने की कोशिश की गई थी लेकिन कामयाब नहीं हो पाया। पांगी की प्रसिद्ध जैविक उत्पादन ठांगी को विश्व भर में पहचान दिलवाने के लिए घाटी की सेवा संस्था ने यह पहल शुरू की थी। आपको बता दें कि सेवा संस्था द्वारा पांगी घाटी के हर गांव-गांव जाकर लोगों के दामों पर ठगी उत्पाद को खरीदा जाता है। और बाहरी राज्य और देशों में इसे बेहतरीन मार्केट दी जाती है। पांगी की ठांगी एक ऐसा जंगली एवं जैविक उत्पाद है जो कि केवल पांगी घाटी में पाया जाता है। इसका उत्पाद 2000 मीटर से लेकर 3000 मीटर तक की ऊंचाई पर ही संभव होता है। जिला मुख्यालय में स्थित पांगी हिल्स ट्राइबल मार्ट के माध्यम से पांगी की ठांगी को प्रदेश सहित राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान बनाने में कायम हुई हुई है।




घाटी में सर्दियों में होने वाली बर्फबारी में ठांगी के पेड़ को एक मजबूत माना जाता है। हालांकि क्षेत्र के लोग इस पेड़ की लकड़ियों को सर्दियों के समय जलाने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। इसका पेड़ इतना मजबूत होता है कि भारी बर्फबारी में भी टूटता नहीं है। पांगी घाटी के इस उत्पाद को पिछले 3 सालों से इंटरनेशनल मार्केट दी जा रही है अभी तक ठांगी को यूरोप, तुर्की, रशिया, इंग्लैंड, फ्रांस वह इटली मैं मार्केट दी जा रही थी लेकिन अब इसके अलावा अन्य देशों में भी ठांगी प्रोडक्ट बेचा जाएगा। इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए जनजातीय विकास मंच के जिला अध्यक्ष डॉ हरीश शर्मा द्वारा चलाया गया है। डॉ हरीश शर्मा ने बताया कि पांगी घाटी की ठांगी को इस बार इंटरनेशनल मार्केट तक दिया जाएगा उन्होंने बताया कि यह ठांगी लोगों की सेहत के लिए भी कारगर सिद्ध मानी जाती है। उन्होंने बताया कि हृदय की बीमारी वह क्रिस्टल जैसी बिमारियों के लिए ठांगी को बेहतरीन माना जाता है। वहीं वन विभाग के अधिकारियों की माने जाए तो पिछले 2 वर्षों से पांगी की नर्सरी में ठगी के पौधे तैयार करके विभिन्न जगहों पर लगाए जा रहे हैं।




ताकि घाटी में यह फसल आने वाले समय में क्षेत्र के लोगों के लिए और में कारगर सिद्ध हो सके। क्षेत्र के लोगों को अपने लिए एक रोजगार पाने का अवसर मिल सके। जनजातीय विकास मंच चंबा की अध्यक्ष डॉ हरीश का कहना है कि वह पिछले 3 सालों से पांगी घाटी की ठांगी के अलावा अन्य उत्पादों को इंटरनेशनल मार्केट में बेच जा रहा है। इन प्रोडक्ट को जिला चंबा के उदयपुर में स्थित मार्ट में भी बेजा जा रहा है। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में पांगी के यह प्राकृतिक उत्पाद जैसे ठांगी, जीरा, चूरी का घी, हर्बल चाय समेत कई अन्य उत्पादों को इंटरनेशनल मार्केट में बेचा जा रहा है। पांगी की गरीब व बेरोजगार लोगों को अपनी इनकम का एक नया साधन दिया जा रहा है।




पांगी की इस उत्पाद की माला बनाकर बड़े नेता व अधिकारी को भी सम्मानित किया जाता है। ठांगी को तोड़कर उसी गिरी निकालकर उसकी माला तैयार की जाती है। जहां लोग फूलों की माला पहनाकर नेताओं को स्वागत करते है। वहीं पांगी में मौजूदा समय में भी ठांगी की माला पहनाकर सम्मानित किया जाता है। यह परंपरा पांगी घाटी में पिछले कई सालों से चलती आ रही है। हाल ही में पांगी घाटी के दौरे में आए प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री को भी घाटी की जनता द्वारा ठांगी की माला पहनाकर उन्हें सम्मानित किया गया था।

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