डबल इंजन की सरकार हुई फेल, मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी का नहीं हुआ भुगतान
राकेश राणा (बंगाणा)केंद्र सरकार की बहुआयामी स्कीम मनरेगा एक बार फिर दम तोड़ती नजर आ रही है। जिला ऊना में दिवाली सहित अन्य सभी धार्मिक पर्व के समय भी मनरेगा के कामगारों को तीन माह से दिहाड़ी नहीं मिल पाई है। जिससे जिले के हजारों मनरेगा श्रमिकों के भुगतान पर अड़ंगा लग गया है बहीं पर कुटलैहड़ कांग्रेस नेता देवेन्द्र कुमार भूटटो ने प्रदेश सरकार पर तीखे तेवरों से चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द ही मनरेगा में दिहाड़ी लगाने वाले मजदूरों की दिहाड़ी का भुगतान न हुआ तो मजबूरन सड़कों पर धरना-प्रदर्शन करने पर मजबुर होना पड़ेगा। जिला ऊना के सभी ब्लॉकों में करोड़ों रुपए की दिहाड़ी व मटेरियल की अदायगी लटक गई है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक 5 माह से मटेरियल की अदायगी नहीं हो पा रही है न ही मनरेगा के कामगारों को ढाई माह से दिहाड़ी मिल पाई है। जबकि केंद्र सरकार का नियम है कि अगर 1 सप्ताह के भीतर मनरेगा मजदूर की दिहाड़ी उसके खाते में जमा नहीं हो पाती है तो संबंधित दोषी कर्मचारी या अधिकारी को जुर्माने को सजा का प्रावधान है। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा 5 माह का लंबा समय बीत जाने के बाद भी प्रदेश के ब्लॉकों के लिए बजट का प्रावधान नहीं किया जा सका है।
मनरेगा कामगारों के लिए इस वर्ष दिवाली सहित अन्य धार्मिक त्यौहार फीके ही रह गए है। गौरतलब है कि कोरोना संकट के बीच अपना रोजगार खो चुके युवकों व गरीब परिवारों के लिए मनरेगा स्कीम ही उनके घर के चूल्हे जला रही थी। लेकिन अब तीन माह का समय बीत जाने के बाद भी मनरेगा के मजदूरों के खातों में दिहाड़ी नहीं पहुंच पाई है जिससे केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार की बेरोजगारों व गरीब समुदाय के लोगों के प्रति लचर व्यवस्था उजागर हो रही है।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक इस इस वक्त कुछ प्रदेशों के लिए एक अरब 90 करोड रुपए की राशि का भुगतान मनरेगा स्कीम के तहत होना शेष है। मनरेगा के कामगारों में बलवीर सिंह , बिक्रम सिंह, राकेश कुमार उर्फ केसो, सुरेन्द्र कुमार,दिलीप चंद, आशा कुमारी, सपना, हुकुमचंद, नरेश, सीमा, अश्विनी कुमार, ब्रह्मा देवी, सरोज, कमलेश, रमेश चंद, बिहारी लाल, आदि का आरोप है कि वह प्रतिदिन मनरेगा स्कीम के तहत किए गए कार्यों का पैसा निकालने के लिए बैंकों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन बैंक अधिकारी उन्हें यह कह कर टाल देते हैं
कि अभी तक उनके खातों में राशि नहीं पहुंची है। कोरोना बीमारी व आसमान छूती महंगाई ने पहले ही गरीब समुदाय की कमर तोड़ दी है ऊपर से मनरेगा स्कीम के तहत किए गए कार्यों का ढाई माह से भुगतान नहीं हो पा रहा है। इन मनरेगा कामगारों का आरोप है कि पैसा न मिलने के कारण उन्हें अपने घरों का चूल्हे जलाना मुश्किल हो गया है। इस संबंध में खंड विकास अधिकारी यशपाल परमार ने बताया कि 5 माह से मटेरियल व लगभग तीन माह से मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी के लिए बजट का प्रावधान नहीं हो पाया है। जल्द ही बजट पहुंचने का अनुमान है। बजट पहुंचते ही मनरेगा के मजदूरों के खातों में पैसा ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
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